अब ये हमारे हिन्दू समाज के लिए दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है कि हिन्दू सम्प्रदाय के लोग भी पशुओं की बलि देने और उन्हें काटकर सरेआम बेचने पर आमादा हैं । अब क्या हिंदुओं के पास सिर्फ यही काम रह गया है कि वे मांस , मदिरा या अंडे जैसी बुरी चीजों को बेचकर और उन्हें खाकर अपना गुजारा कर रहे हैं । ये एक कटु सत्य है कि जो हिन्दू इन गन्दी चीजो का भक्षण कर रहे हैं उनमे नकारात्मक ऊर्जा का संचार स्वतः ही हो जाता है और उन्हें या उनके परिवार को भिन्न भिन्न परिस्थितियों का सामना करना ही पड़ता है ।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिस भी वस्तु का आप भक्षण करते हैं वो किसी न किसी जीव से अवश्य जुड़ी होती है अब जब आप उसका सेवन करते हैं तो उस जीव की आत्मा आपको या आपके परिवार को किसी न किसी रूप में बददुआ जरूर देती है जिससे आपकी बुद्धि भ्रमित और मलिन हो जाती है और आपका चित्त हमेशा उसके वश में हो जाता है , और आप किसी भी कार्य को करने में असक्षम हो जाते हैं ।
मांसाहार मनुष्य कभी भी आंतरिक और पारिवारिक सुख नहीं पा सकता ये निश्चित है क्योंकि शायद वो संसार के और भौतिक सुखों को तो भोग सकता है परंतु आंतरिक और पारिवारिक सुख उसे कभी नहीं प्राप्त होगा । शाकाहार मनुष्य ही ये दोनों सुख प्राप्त कर सकता है ।
इसलिए प्रत्येक हिन्दू से मैं यही कहना चाहूँगा कि यदि आप अपने जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहते हैं तो आपको शुद्ध रूप से अपना जीवन जीना होगा मांसाहार को हर प्रकार से त्यागना होगा चाहे आपको उसके लिए इन चीजो की बिक्री और सेवन करना ही क्यों न बंद करना पड़े।
पं. यतेन्द्र शर्मा ( ज्योतिषविद् एवं सनातन हिन्दू धर्म चिंतक )
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