भगवान के मुख्यत 4 काम है । 1- सृष्टि की रचना करना 2- सृष्टि का प्रलय करना 3- जीव आत्माओं को पाप पुण्य का फल देना 4- संसार का पालन करना ।
1- भगवान सृष्टि की रचना क्यो करता है ?
आप कल्पना करे कि यह संसार न होता तो क्या होता ? सब कुछ शून्य होता । और शून्य मे कोई भी जीव आत्मा परमात्मा निवास नहीं कर सकता है । इसलिए भगवान ने अपने ज्ञान और प्रयत्न के सहारे इस सृष्टि की रचना की है ताकि वो इस सृष्टि का आनंद ले सके ।
यही विचार 84 लाख योनियो मे भगवान ने नियुक कर दिया । जैसे माता बच्चा पैदा करती है और उसका आनंद लेती है तथा गलती पर सजा भी देती है ।
2- सृष्टि का प्रलय क्यो करता है भगवान ?
जब कोई भी चीज़ बहुत लंबे समय तक चलायमान रहती है तो उसका ह्रास होता है । उस ह्रास को दुबारा ठीक और तरोताजा करने के लिए पुनः सृष्टि की उत्पत्ति की जाती है । जैसे पेड़ के पत्ते सुख जाते है और कुछ समय बाद पुनः हरे हो जाते है । यह चक्र चलता रहता है ।
3- जीव आत्माओं को पाप पुण्य का फल देना –
जैसे माता पिता अपने बच्चे का लेखा जोखा रखते है और मालिक अपने कर्मचारी का लेखा जोखा रखता है तथा उसी के आधार पर उन्नति और प्रगति होती है । ऐसे भगवान भी सबके पाप पुण्य और कर्म का लेखा जोखा रखता है ।उसी आधार पर हमे योनियाँ प्राप्त होती है । तथा भगवान के भय के कारण हम पाप कर्म से दूर रहते है । क्योकि इस सृष्टि के रचने के सिधान्त को सिर्फ भगवान ही जानता है ।
4- संसार का पालन भगवान क्यो करता है ?
यह भगवान का ही सिधान्त है कि जो जिस चीज़ का निर्माण करेगा वो उस चीज़ का रख रखाव भी करेगा । इसलिए भगवान ने इस सृष्टि को रचा है तो इसके पालन की ज़िम्मेदारी भी भगवान की है ।
इसलिए भगवान की सृष्टि की रचना ही परम सत्य है । इसका भावार्थ अलग अलग ऋषियों ने अलग अलग रूप मे कर दिया है ।
पं. यतेन्द्र शर्मा ( ज्योतिषविद् एवं वास्तु विशेषज्ञ )