तपस्विनी माता ही महापुरुष को जन्म देती है ।

जब माता देवकी राक्षस कंस के पापचार से बहुत दुखी हो गयी थी तो आठवे पुत्र के गर्भ मे होने पर देवकी ने जेल  मे बहुत तप किया जिसके कारण गर्भ मे ही भगवान कृष्ण मे वो संस्कार और शक्ति आ गयी थी । जिसका माता देवकी को चाहत थी ।
इसी प्रकार सुभद्रा के गर्भ के समय अभिमन्यु को चक्रव्यू मे प्रवेश की जानकारी हो गयी थी । लेकिन जैसे ही माता सुभद्रा निद्रा मे गयी तो बच्चे को निद्रा आ गयी ।
ब्रह्म ज्ञान कहता है कि गर्भावस्था के समय माँ जैसा खाती है , जैसा सोचती है जैसा पीती है उसका प्रभाव बच्चे के उपर पड़ता है ।
इसी प्रकार कोई माता गर्भावस्था के समय मांस खाती है तो उसके गर्भ मे दैत्य का जन्म होने की प्रवल संभावना होती है । अगर गर्भव्स्स्था के समय माता की इच्छा मांस खाने की है तो बच्चे मे यह भाव आ जाता है ।
जैसे हिडम्म्बा के गर्भ मे भीम का पुत्र था लेकिन हिडम्म्बा का खाना पीना मांसाहारी था इसलिए घटोत्कच्छ एक राक्षस पैदा हुआ था ।
इसलिए महान संतान को जन्म देने के लिए उत्तम भोजन , उत्तम ज्ञान और उत्तम सोच होना जरूरी है ।

पं. यतेन्द्र शर्मा ( सनातन धर्म प्रचारक एवं दार्शनिक )