क्या कहूँ और क्या लिखूँ समझ नहीं आ रहा। आज जहाँ देखो राधे माँ के बारे में मीडिया और सोशल मीडिया हर जगह बोला जा रहा है। ये कैसी धर्म वव्यस्था है हमारे हिन्दू समाज की कि चंद पैसों के लिए कुछ हमारे विद्वत गण बिककर के महामंडलेश्वर की उपाधि किसी को भी बिना जांच पड़ताल के दे देते हैं । आज ऐसे ही अनपढ़ और चरित्रहीन लोगों को महामंडलेश्वर या शंकराचार्य बना देते हैं। ये विद्वत समाज के साथ न्याय नहीं अन्याय है। ऐसे लोगों के बिकने पर लोगों का, जो सच्चे संत या साधू इत्यादि हैं उन पर से ही भरोसा उठ जाता है। बिना किसी भी तरह से जांच पड़ताल के कि वो उस उपाधि के सही काबिल है या नहीं तभी पद पर आसीन करना चाहिए अगर वो उस पद के लिए उपयुक्त नहीं है तो तत्काल ऐसो के खिलाफ उचित कार्यवाही करनी चाहिए।
अगला नंबर अब समोसे और जुराबें बेचने वाले निर्मल बाबा का भी आ सकता है जरा बचकर रहें निर्मल बाबा। अपनी समोसे और गोल गप्पों की दूकान बंद करनी पड़ेगी नहीं तो जनता करवा देगी।
मैं भी समाज और देश की जानता से भी कहना चाहूँगा कि आप लोग भी सही और गलत अच्छे और बुरे का उचित चुनाव करें कि कौन सही है और कौन गलत क्योंकि आप लोग ही ऐसे पाखंडियों और ढोंगेवाजों के झांसे में जल्दी आ जाते हो इसलिए काफी सोच समझकर अपने जीवन में आप गुरु संत या सही मार्ग पर ले जाने वाले मार्गदर्शक का चुनाव करें नाकि निर्मल बाबा या अन्य किसी अनपढ़ या समाज को बहकाने वाले बाबाओं या देवियों का। निर्णय अब आपका है और अब आप को जागना ही पड़ेगा।