वास्तु क्या है ? कैसे काम करता है ?

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प्रत्येक मनुष्य का स्वप्न होता है कि वह अपने लिए सुंदर से सुंदर और आकर्षक भवन का निर्माण करवाएँ ताकि उसे भवन में रहने पर सुख – शांति, आरोग्यता, संपदा, वैभव आदि की प्राप्ति हो। परंतु ज्ञान के अभाव में वह इन सब कारणों से वचिंत हो जाता है, जिसका मुख्य कारण है ‘वास्तु दोष’। ज्योतिष की तरह ही वास्तु सत्य विज्ञान है, इसका हर पहलू वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। यदि घर, मकान, कोठी, दुकान, फैक्ट्री आदि का निर्माण वास्तु के अनुसार करवाया जाए तो उसमे रहने वाले लोग सुखी और संपन्न रहते है। वास्तु के लिए हमे दिशाओं का ज्ञान होना अति आवश्यक है क्योंकि वास्तु का संबंध ही दिशाओं पर आधारित है। दिशाओं के साथ साथ अच्छे प्लाट और भूमि का चयन करना भी आवश्यक है और मकान अथवा किसी भी प्रकार के निर्माण में सभी छोटे – बड़े मूलभूत वास्तु के वैज्ञानिक पहलूओं पर भी ध्यान … [ Read More ]

शनि से पीड़ित होने पर पीपल की पूजा क्यों करनी चाहिए ? क्या है इसका पौराणिक रहस्य ? क्या है पिपलाद ऋषि और पीपल के पेड़ का रहस्य ?

pipal tree pooja

एक बार त्रेता युग मे अकाल पड़ गया था । उसी युग मे एक कौशिक मुनि अपने बच्चो के साथ रहते थे । बच्चो का पेट न भरने के कारण मुनि अपने बच्चो को लेकर दूसरे राज्य मे रोज़ी रोटी के लिए जा रहे थे । रास्ते मे बच्चो का पेट न भरने के कारण मुनि ने एक बच्चे को रास्ते मे ही छोड़ दिया था । बच्चा रोते रोते रात को एक पीपल के पेड़ के नीचे सो गया था तथा पीपल के पेड़ के नीचे रहने लगा था । तथा पीपल के पेड़ के फल खा कर बड़ा होने लगा था । तथा कठिन तपस्या करने लगा था । एक दिन ऋषि नारद वहाँ से जा रहे थे । नारद जी को उस बच्चे पर दया आ गयी तथा नारद जी ने उस बच्चे को पूरी शिक्षा दी थी । तथा विष्णु भगवान की पूजा का विधान बता … [ Read More ]

अच्छे गुरु की पहचान कैसे करें ?

अच्छे गुरु की पहचान करना तो ऐसा मानो ! जैसे एक पानी के तालाब मे सुई को खोजना होता है । जैसे गुरु को अच्छे शिष्य की तलाश होती है वैसे ही शिष्य को भी गुरु को परखना चाहिए । गुरु से निम्न प्रश्न पुछे जा सकते है जैसे : 1- गुरु जी आपके पास जो ज्ञान है इसको फैलाने मे आपकी झुठ का क्या योगदान है 2- आपके इस ज्ञान पर पाखंड और झूठ की कितनी मोती पर्त चढ़ी हुई है ? 3- आप इस ज्ञान का अपनी ज़िंदगी मे कितना उपयोग करते है ? 4- आप दिन भर मे लोगो से कितना झूठ बोलते है ? 5- आपकी ज़िंदगी मे धन का कितना महत्व है ? 6- आपका जीवन का उद्देश्य क्या है ? भगवान को प्राप्त करना या अपना साम्राज्य स्थापित करना । अगर कोई भी गुरु इस प्रश्नो मे सिर्फ एक प्रश्न का सही उत्तर दे … [ Read More ]

किसके पैर छुएँ और किसके न छुएँ ? क्या है इसका वायोवैज्ञानिक आधार ?

हिन्दू संस्कृति में पैर छूना एक संस्कार माना जाता है । हम अपने से बड़ो के , माता पिता , और गुरु के पैर छूते है । लेकिन आजकल पैर छूना चमचागिरी का संस्कार बन गया है । पैर छूने का वैज्ञानिक आधार हमारे शरीर के दो ध्रुव उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव होते है । सिर उत्तरी ध्रुव और पैर दक्षिणी ध्रुव होता है । अगर हम किसी के पैर छूते है तो हमारा उत्तरी ध्रुव बड़े आदमी के दक्षिणी ध्रुव से मिल जाता है । ऐसी स्थिति में बड़े आदमी के संस्कार स्वतः चुम्बकीय आधार पर हमारे चित में प्रवेश कर जाते है । इसी सिद्धान्त पर हम जिस माँ के हम पैर छूते है उनके चित के संस्कार हमारे अंदर आ जाते है । अगर माँ देवी कौशल्या जैसी है तो अवश्य ही अच्छे संस्कार आएंगे । अगर माँ मांसाहारी है , शरावी है या जुआरी है और … [ Read More ]

Astrology is based on science not art

Many astrologers predict about future and past daily and we watch them on t.v also, however only few of them predictions become true. The main reason i think that most of astrologers don’t know the right way how to predict ? Astrology is not a subject of psychology although it is a subject of physics but most of 90% astrologers predict psychology. Moreover scientists has also proved that astrology is based only on physics and calculations too. that’s why most of astrologers don’t able to predict properly and people don’t trust on astrology and astrologers as well. My point of view is that till astrologers won’t predict according to the time and won’t keep situations of planets in their mind , i am sure that it will not work properly. so i’d say that astrologers must remember all things while prediction, then people will be able to believe 100% on … [ Read More ]

मनुष्य योनि , देवता योनि और मोक्ष में क्या अंतर है ?

मनुष्य हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहता है कि कही मुझे नरक न मिल जाये । मैं स्वर्ग चला जाऊ यह धारणा हमेशा बनी रहती है । पहले हम मनुष्य योनि , देवता योनि ( सूक्ष्म शरीर ) और मोक्ष ( कारण शरीर ) के अंतर को समझने की कोशिस करते है । मनुष्य का स्थूल रूपी शरीर 24 तत्वो से मिलकर बनता है जिसमे 5 प्राण , 5 तंत्रमहाभूत , 5 ज्ञानेद्रि , 5 कर्मेन्द्रि , मन , बुद्धि , चित और अहंकार होते है । ये 24 तत्व प्रथ्वी लोक पर रमण करते है । इसमे वायु तत्व , अग्नि तत्व और जल तत्व प्रधान होता है । देवता योनि ( सूक्ष्म शरीर ) मे 18 तत्व होते है । 5 ज्ञानेद्रि 5 प्राण , चित , मन और बुद्धि ये मिलकर सूक्ष्म शरीर का निर्माण करते है । सूक्ष्म शरीर मे 5 कर्मेन्द्रि और अहंकार नहीं … [ Read More ]

क्या भ्रूण खाने वाले या मांसाहार करने वाले मनुष्य कभी मोक्ष में जा सकते हैं ? क्या है वायो वैज्ञानिक आधार ?

हमारे उपनिषदों की आहार संहिता मे कहा गया है कि मनुष्य प्राणी को प्रथवि लोक पर वही निवास करना चाहिए जहा पर खाने के प्राकृतिक साधन उपलब्ध हो । लेकिन मनुष्य अपने स्वार्थ और स्वाद के वशीभूत होकर ऐसे भोजन को चुन लेता है जो मानव शरीर के अनुरूप नहीं होता है । एक बार गुरु नानक देव से किसी ने पूछा कि क्या मनुष्य को भ्रूण खाना चाहिए या मांसाहार करना चाहिए ? तो नानक देव जी ने बहुत सुंदर जबाब दिया था और कहा था कि अगर मनुष्य के कपड़े पर खून का धब्बा लग जाये तो धोने से छूटता नहीं है । ऐसे ही अगर खून को पीया जाये या मांस को खाया जाये तो वो खून के दाग आपके अंदर चित मे और आत्मा मे ऐसे चिपक जाये है कि जन्म जन्मांतरों तक नहीं छूटते है । लेकिन आज उनके अनुनायी सबसे ज्यादा मांस खा रहे … [ Read More ]

एकादशी व्रत और चौथ के चंद्रमा का वैज्ञानिक रहस्य क्या है ?

नास्तिक लोग , अधर्मी और वैज्ञानिक इन व्रतो को नहीं मानते है । उनका मानना है कि भूखे रहने से भगवान खुश नहीं होते है । यह बात सत्य कि भूखे रहने से भगवान प्रसन्न नहीं होते है लेकिन स्वास्थ्य के लिए यह व्रत रामवाण होता है । किसी भी व्रत का हिन्दू सनातन धर्म मे वैज्ञानिक रहश्य होता है । एकादशी को सूर्य एक महिना छोड़ कर हर दूसरे महीने अपने नक्षत्रो कृतिका , उत्तरा फाल्गुनी और उत्तराषड़ नक्षत्र से भ्रमण करता है । जब सूर्य अपने नक्षत्रो से भ्रमण करता है तो पृथ्वीलोक पर अपनी किरणों से विष फेंकता है । जिसके कारण भोजन मे विष बन जाता है क्योकि अन्न सूर्य की किरणों से ही उत्पन्न होता है । अन्न मे स्थूलरूप सूर्य के कारण ही आता है । लेकिन यह विष प्रकृति की बहुत सी जड़ी बूटियों मे चला जाता है जो बीमारी ठीक करने मे … [ Read More ]

क्या अच्छे गुरु के सानिध्य में रहने से कमजोर ग्रहों की कुंडली वाले लोगों के ग्रहों में बदलाब आता है ? और क्या कष्ट दूर होते हैं ? क्या है वैज्ञानिक रहस्य ?

मनुष्य का मन हमेशा विचारशील रहता है । मन हमेशा अपनी खुशी के लिए सुख को दूँढ़ता रहता है । इसी खोज मे मनुष्य गुरु की तलाश करता है । अगर अच्छे आचरण और अच्छे ग्रहो की कुंडली वाला गुरु मिल जाये तो मन को शांति और समाधान दोनों मिल जाते है । अब प्रश्न उठता है कि ज्ञानी गुरु के सानिध्य से कमजोर ग्रहो के मनुष्य को कैसे लाभ मिलता है । इसका ज्योतिषीय आधार क्या है ? ज्योतिष मे 6 प्रकार के बल होते है । जिसमे 3 बल हमे किसी भी अच्छे गुरु से मिल सकते है । इसका मतलब यह हुआ अगर हमे भाग्य से ज्ञानी और गुणी गुरु मिल जाये तो ज़िंदगी मे 50% सुधार किया जा सकता है । चेष्टा बल , युति बल और दृष्टि बल हम प्राप्त कर सकते है । इसलिए दार्शनिको ने कहा कि अच्छे दोस्त या अच्छे गुरु की … [ Read More ]

क्या हिन्दू धर्म और हिन्दू धर्म से जुड़े हुए लोग ही स्वयं धार्मिक असहिष्णुता का शिकार हो रहे हैं ? यदि यह सत्य है तो ऐसा क्यों ?

आज के समय में स्वयं हिन्दू ही असहिष्णुता का शिकार हो रहे हैं जिसका नाम है ‘ धार्मिक असहिष्णुता ‘ । मानसिक रूप से आज के समय में ये लगभग सभी हिन्दू धर्म के अनुयायियों , मठाधीश , पुजारियो और स्वयं हिन्दू धर्म से जुड़े हुए समाज के लोगों पर पूर्ण रूप से लागू होती है जो अपने निजी फायदे के लिए रूढ़िवादी परम्पराओ का हवाला देकर स्वयं अपने ही हिंदू धर्म का नाश करने में लगे हुए हैं । भगवान् तो सबके हैं चाहे वो पुरुष हो अथवा स्त्री ये सभी भगवान की संतान है तो फिर सिर्फ हमारे देश के कुछ हिन्दू मंदिरों में पुरुषों के अलावा महिलाओं के प्रवेश और पूजा पर पावंदी क्यों लगाईं जाती है ? अनादि काल से ही सृष्टि की रचना के साथ ही इतिहास गवाह है कि महिलाएं ही आज तक सबसे ज्यादा भगवान् की पूजा पाठ करती रही हैं जिसके कारण … [ Read More ]