हमारे उपनिषदों की आहार संहिता मे कहा गया है कि मनुष्य प्राणी को प्रथवि लोक पर वही निवास करना चाहिए जहा पर खाने के प्राकृतिक साधन उपलब्ध हो । लेकिन मनुष्य अपने स्वार्थ और स्वाद के वशीभूत होकर ऐसे भोजन को चुन लेता है जो मानव शरीर के अनुरूप नहीं होता है । एक बार गुरु नानक देव से किसी ने पूछा कि क्या मनुष्य को भ्रूण खाना चाहिए या मांसाहार करना चाहिए ? तो नानक देव जी ने बहुत सुंदर जबाब दिया था और कहा था कि अगर मनुष्य के कपड़े पर खून का धब्बा लग जाये तो धोने से छूटता नहीं है । ऐसे ही अगर खून को पीया जाये या मांस को खाया जाये तो वो खून के दाग आपके अंदर चित मे और आत्मा मे ऐसे चिपक जाये है कि जन्म जन्मांतरों तक नहीं छूटते है । लेकिन आज उनके अनुनायी सबसे ज्यादा मांस खा रहे … [ Read More ]
वेबदैनिकी
एकादशी व्रत और चौथ के चंद्रमा का वैज्ञानिक रहस्य क्या है ?
नास्तिक लोग , अधर्मी और वैज्ञानिक इन व्रतो को नहीं मानते है । उनका मानना है कि भूखे रहने से भगवान खुश नहीं होते है । यह बात सत्य कि भूखे रहने से भगवान प्रसन्न नहीं होते है लेकिन स्वास्थ्य के लिए यह व्रत रामवाण होता है । किसी भी व्रत का हिन्दू सनातन धर्म मे वैज्ञानिक रहश्य होता है । एकादशी को सूर्य एक महिना छोड़ कर हर दूसरे महीने अपने नक्षत्रो कृतिका , उत्तरा फाल्गुनी और उत्तराषड़ नक्षत्र से भ्रमण करता है । जब सूर्य अपने नक्षत्रो से भ्रमण करता है तो पृथ्वीलोक पर अपनी किरणों से विष फेंकता है । जिसके कारण भोजन मे विष बन जाता है क्योकि अन्न सूर्य की किरणों से ही उत्पन्न होता है । अन्न मे स्थूलरूप सूर्य के कारण ही आता है । लेकिन यह विष प्रकृति की बहुत सी जड़ी बूटियों मे चला जाता है जो बीमारी ठीक करने मे … [ Read More ]
क्या अच्छे गुरु के सानिध्य में रहने से कमजोर ग्रहों की कुंडली वाले लोगों के ग्रहों में बदलाब आता है ? और क्या कष्ट दूर होते हैं ? क्या है वैज्ञानिक रहस्य ?
मनुष्य का मन हमेशा विचारशील रहता है । मन हमेशा अपनी खुशी के लिए सुख को दूँढ़ता रहता है । इसी खोज मे मनुष्य गुरु की तलाश करता है । अगर अच्छे आचरण और अच्छे ग्रहो की कुंडली वाला गुरु मिल जाये तो मन को शांति और समाधान दोनों मिल जाते है । अब प्रश्न उठता है कि ज्ञानी गुरु के सानिध्य से कमजोर ग्रहो के मनुष्य को कैसे लाभ मिलता है । इसका ज्योतिषीय आधार क्या है ? ज्योतिष मे 6 प्रकार के बल होते है । जिसमे 3 बल हमे किसी भी अच्छे गुरु से मिल सकते है । इसका मतलब यह हुआ अगर हमे भाग्य से ज्ञानी और गुणी गुरु मिल जाये तो ज़िंदगी मे 50% सुधार किया जा सकता है । चेष्टा बल , युति बल और दृष्टि बल हम प्राप्त कर सकते है । इसलिए दार्शनिको ने कहा कि अच्छे दोस्त या अच्छे गुरु की … [ Read More ]
क्या हिन्दू धर्म और हिन्दू धर्म से जुड़े हुए लोग ही स्वयं धार्मिक असहिष्णुता का शिकार हो रहे हैं ? यदि यह सत्य है तो ऐसा क्यों ?
आज के समय में स्वयं हिन्दू ही असहिष्णुता का शिकार हो रहे हैं जिसका नाम है ‘ धार्मिक असहिष्णुता ‘ । मानसिक रूप से आज के समय में ये लगभग सभी हिन्दू धर्म के अनुयायियों , मठाधीश , पुजारियो और स्वयं हिन्दू धर्म से जुड़े हुए समाज के लोगों पर पूर्ण रूप से लागू होती है जो अपने निजी फायदे के लिए रूढ़िवादी परम्पराओ का हवाला देकर स्वयं अपने ही हिंदू धर्म का नाश करने में लगे हुए हैं । भगवान् तो सबके हैं चाहे वो पुरुष हो अथवा स्त्री ये सभी भगवान की संतान है तो फिर सिर्फ हमारे देश के कुछ हिन्दू मंदिरों में पुरुषों के अलावा महिलाओं के प्रवेश और पूजा पर पावंदी क्यों लगाईं जाती है ? अनादि काल से ही सृष्टि की रचना के साथ ही इतिहास गवाह है कि महिलाएं ही आज तक सबसे ज्यादा भगवान् की पूजा पाठ करती रही हैं जिसके कारण … [ Read More ]
शाकाहार अपनाइये और मांसाहार त्यागें ।
अब ये हमारे हिन्दू समाज के लिए दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है कि हिन्दू सम्प्रदाय के लोग भी पशुओं की बलि देने और उन्हें काटकर सरेआम बेचने पर आमादा हैं । अब क्या हिंदुओं के पास सिर्फ यही काम रह गया है कि वे मांस , मदिरा या अंडे जैसी बुरी चीजों को बेचकर और उन्हें खाकर अपना गुजारा कर रहे हैं । ये एक कटु सत्य है कि जो हिन्दू इन गन्दी चीजो का भक्षण कर रहे हैं उनमे नकारात्मक ऊर्जा का संचार स्वतः ही हो जाता है और उन्हें या उनके परिवार को भिन्न भिन्न परिस्थितियों का सामना करना ही पड़ता है । ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिस भी वस्तु का आप भक्षण करते हैं वो किसी न किसी जीव से अवश्य जुड़ी होती है अब जब आप उसका सेवन करते हैं तो उस जीव की आत्मा आपको या आपके परिवार को किसी न किसी रूप … [ Read More ]
भगवान् के यहाँ सभी आत्मा एक जैसी है फिर आत्मा अलग अलग योनि में क्यों चली जाती है ?
एक बार वेद व्यास जी ने उपरोक्त प्रश्न पाराशर ऋषि से पूछा कि आत्मा के इतने रूप क्यो है ? एक आत्मा मृत लोक मे 84 लाख योनियो मे कष्ट भोगती है एक आत्मा देवलोक मे आनंद लेती है और कुछ आत्माये मोक्ष मे चली जाती है ।जो भगवान के आँगन मे रमण करती है । क्या कारण है ? पाराशर जी ने कहा प्रिय वेद व्यास जब मनुष्य इस लोक मे जन्म लेता है तो वह उत्तम कर्म करना चाहता है । लेकिन उसके संचित कर्मो के कारण वो उत्तम कर्म नहीं कर पाता है । जब वह मृत्यु को प्राप्त होता है तो आत्मा चाहती है कि उसको देवलोक प्राप्त हो जाये लेकिन पाप कर्मो के बोझ के कारण आत्मा अंतिरक्ष मे रमण करते करते उसको स्वत ही माँ के गर्भ मे अति शीघ्र जाने की इच्छा रहती है । उसको देवलोक जाने का समय ही नहीं मिल … [ Read More ]
भगवान् ने स्वार्थ क्यों बनाया ? क्या स्वार्थ पृथ्वी लोक पर गुरुत्वाकर्षण बल की तरह काम करता है ?
जी हाँ स्वार्थ एक गुरुत्वाकर्षण बल की तरह काम करता है । भगवान का इस प्रकृति के लिए सार्वभौमिक सत्य सिधान्त है कि जो जीव जिस तत्व मे पैदा होता है वो उसी मे मिल जाता है । प्रकृति मे पेड़ पोधा पैदा होते है उसी मे अपने जीवन के अंत मे सड़ गल कर उसी मे मिल जाते है । जो जल मे पैदा होता है वो उसी मे मिल जाता है । जो मिट्टी मे पैदा होता है वो मिट्टी मे मिल जाता है । आखिर यह सिधान्त कैसे काम करता है ? भौतिक विज्ञान के अणु सिधान्त के अनुसार प्रत्येक तारा और ग्रह और लोक एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा जुड़ा हुआ है । अगर गुरुत्वाकर्षण बल न होता तो यह ब्रहमाण न होता । ये ब्रहमाण मे ग्रह अपने अस्तत्व को बचाने के लिए एक स्वार्थ रूपी गुरुत्वाकर्षण बल का प्रयोग करते है । … [ Read More ]
आखिर भगवान् ने झूठ क्यों बनाई ? क्या है इसका वायो वैज्ञानिक रहस्य ?
भगवान का विज्ञान बहुत अद्भुत है । इसको जानना बहुत कठिन है । सारे संसार के सभी बिदवान झूठ न बोलने की सलाह देते है फिर वो स्वयं भी झूठ बोलते है । इसके बिना मनुष्य का गुजारा भी नहीं है । यह भोजन की भांति है जैसे बिना भोजन के जीवन नहीं चल सकता है वैसे झूठ के बिना जीवन नहीं चल सकता है । आखिर कैसे झूठ काम करता है ? मनुष्य के शरीर मे 5 उपप्राण होते है ये 5 उपप्राण स्वचालित क्रिया मे शरीर की रक्षा करते है । इनको कमांड देने की आवश्यकता नहीं होती है । ये स्वतः ही दुर्घटना होने पर अपने आप शरीर को बचाते है । जब शरीर पर कोई अचानक आपदा आती है तो ये अपना काम शुरू कर देते है । जिसमे नाग प्राण क्रोध उत्पन्न करता है । देवव्रत उपप्राण व्यान प्राण के साथ गालियां और झूठ उत्पन्न … [ Read More ]
मनुष्य पाप क्यों करता है ? क्या है इसका वायोवैज्ञानि कारण ? ?
सबसे पहले हमे पाप को समझना चाहिए कि पाप क्या है ? मन और इंद्रियों की खुशी के लिए किया गया कर्म पाप के दायरे मे आता है । और आत्मा की खुशी के लिए किया गया कर्म पुण्य के दायरे मे आता है । मन प्रकृति का रूप है और आत्मा परमात्मा का रूप है । मन का संबंध चित के साथ होता है । और चित मे पूर्व जन्मो के पाप और पुण्य संचित होते है । जब मनुष्य इस स्थूल रूपी शरीर को प्राप्त करता है तो चित मे संचित पाप मन के साथ संबंध स्थापित कर लेते है । इसलिए मनुष्य का ध्यान हमेशा पापो पर चला जाता है । और उसको पाप करने मे आनंद की अनुभूति होती है । इसलिए जब मनुष्य इस लोक मे कर्म करता है तो मन को हमेशा संचित पाप प्रभावित करता है । और मानव के मन मे लगातार … [ Read More ]
भगवान का विशेष कार्य क्या है ?
भगवान के मुख्यत 4 काम है । 1- सृष्टि की रचना करना 2- सृष्टि का प्रलय करना 3- जीव आत्माओं को पाप पुण्य का फल देना 4- संसार का पालन करना । 1- भगवान सृष्टि की रचना क्यो करता है ? आप कल्पना करे कि यह संसार न होता तो क्या होता ? सब कुछ शून्य होता । और शून्य मे कोई भी जीव आत्मा परमात्मा निवास नहीं कर सकता है । इसलिए भगवान ने अपने ज्ञान और प्रयत्न के सहारे इस सृष्टि की रचना की है ताकि वो इस सृष्टि का आनंद ले सके । यही विचार 84 लाख योनियो मे भगवान ने नियुक कर दिया । जैसे माता बच्चा पैदा करती है और उसका आनंद लेती है तथा गलती पर सजा भी देती है । 2- सृष्टि का प्रलय क्यो करता है भगवान ? जब कोई भी चीज़ बहुत लंबे समय तक चलायमान रहती है तो उसका ह्रास … [ Read More ]