शरीर में जब मन और आत्मा का संधान होता है तो एक बहुत ही प्रभाव शाली उर्जा उत्पन्न होती है . यह उर्जा जिधर जाती है उधर या तो कल्याण करती है या तवाही करती है . इस उर्जा को हम प्राण शक्ति कहते है . आत्मा का वास नाभि केंद्र में होता है और मन का वास ह्रदय में होता है . जब मन और आत्मा का संधान खुसी के वशीभूत होकर नाभि से होता है तो वह उर्जा दुआ में बदल जाती है तथा जिस मनुष्य को दी जाती है उसका कल्याण होता है . इसी प्रकार जब मन और आत्मा का संधान दुखी रूप में होता है तो वही उर्जा नाग उप प्राण के कारण विष रूप धारण करके बददुआ में परिवर्तित हो जाती है . तथा बुरे करने वाले मनुष्य का विनाश कर देती है . यह मन और आत्मा के संधान का योग अचानक ही … [ Read More ]
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रत्नो और धातु का वैज्ञानिक रहष्य क्या है ?
कुछ लोग रत्नो को व्यर्थ की बाते बताते है कहते कि रत्नो का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। लेकिन रत्न जीवन में उसी प्रकार काम करता है जिस प्रकार एक बहु मंजिला ईमारत पर लगा एक अर्थ का एंटीना काम करता है । जब आसमान में विजली तड़कती है तो वो पानी के माध्यम से अर्थ लेकर ईमारत को तहश नहश कर देती है उस समय वो एंटीना ही ईमारत को सुरक्षित रखता है। इसी प्रकार जब हमारे शरीर में अग्नि तत्व का घर्षण होता है तो ये रत्न या धातु ही उसके प्रभाव से हमें बचाते है। महर्षि चरक ने सबसे पहले आयर्वेद में इन रत्नो का प्रयोग भस्म बनाने के लिए किया था । आज भी मरीज़ को रत्नो और धातु की भष्म जैसे स्वर्ण भस्म ,चाँदी की भस्म, मूंगे की भष्म दी जाती है. रत्न उसी प्रकार काम करता है जिस प्रकार एक लेंस को सूर्य की … [ Read More ]
पवित्र अन्न क्या होता है ? गायत्री मंत्र से कैसे होता है पवित्र अन्न ? यह पोस्ट सिर्फ साधको के लिए है
जिस अन्न को ग्रहण करने से पवित्र विचार आते है , शरीर मे तामस वृत्ति की बृद्धि नहीं होती है , काम इंद्री मे वासना शांत हो जाती है वही है पवित्र अन्न , आंखे देखने मे दूषित नहीं होती है , मन शांति को ग्रहण करता है , सांस और चित राहत महसूस करते है , भोजन के बाद बेचैनी नहीं होती है , भोजन के बाद विष नहीं बढ़ता है , भोजन के बाद आलस नहीं आता है वही है पवित्र । जो अन्न पाप की कमाई का न हो , भोजन व्याज के कारोबार से कमाया धन न हो , रिश्वत का धन न हो , किसी के चोरी किए हुए धन का न हो । इसके अलावा जब भोजन ग्रहण करते है तो उससे पहले गायत्री मंत्र का जाप भोजन के उपर करते है तो अन्न पवित्र हो जाता है । भीष्म पितामह म्रत्यु शैया पर … [ Read More ]
छटे और आठवे महीने मे पैदा होने वाले बच्चे क्यो मर जाते है ? और सातवे महीने मे पैदा होने वाला बच्चा क्यो बच जाता है ? क्या है इसका वायो वैज्ञानिक रहश्य ?
माँ के गर्भ मे पल रहे बच्चे के 3 महीने बाद यानि चौथे महीने मे आत्मा का प्रवेश हो जाता है । तथा छटे महीने मे बच्चे का मन का प्रवेश हो जाता है । तथा 6 वे महीने मे ही मन और आत्मा का संबंध गर्भ मे होता है । जब यह मन और प्राण का संबंध गर्भ मे होता है तो बच्चा गर्भ मे क्रीडा करने लगता है । घूमने लगता है । अगर किसी कारण बस माता पिता उस समय संभोग कर लेते है या माता कोई शारीरिक परिश्रम कर लेती है तो बच्चे के जल की थेली मे जाने की संभावना हो जाती है जिसके कारण जल की थेली फट जाती है और बच्चे या माता की म्रत्यु की संभावना हो जाती है । इसलिए गर्भवती माता को 6 वे महीने मे बहुत सावधानी रखनी चाहिए । सातवे महीने मे मन प्राण आत्मा और चित का … [ Read More ]
तपस्विनी माता ही महापुरुष को जन्म देती है ।
जब माता देवकी राक्षस कंस के पापचार से बहुत दुखी हो गयी थी तो आठवे पुत्र के गर्भ मे होने पर देवकी ने जेल मे बहुत तप किया जिसके कारण गर्भ मे ही भगवान कृष्ण मे वो संस्कार और शक्ति आ गयी थी । जिसका माता देवकी को चाहत थी । इसी प्रकार सुभद्रा के गर्भ के समय अभिमन्यु को चक्रव्यू मे प्रवेश की जानकारी हो गयी थी । लेकिन जैसे ही माता सुभद्रा निद्रा मे गयी तो बच्चे को निद्रा आ गयी । ब्रह्म ज्ञान कहता है कि गर्भावस्था के समय माँ जैसा खाती है , जैसा सोचती है जैसा पीती है उसका प्रभाव बच्चे के उपर पड़ता है । इसी प्रकार कोई माता गर्भावस्था के समय मांस खाती है तो उसके गर्भ मे दैत्य का जन्म होने की प्रवल संभावना होती है । अगर गर्भव्स्स्था के समय माता की इच्छा मांस खाने की है तो बच्चे मे यह … [ Read More ]
माता बच्चे को स्तन से दुग्धपान करते समय क्या विचारे ? बोतल से दूध पिलाने से बच्चा क्यो होता है असंस्कारित ? क्या है वायो वैज्ञानिक रहश्य ?
जब माँ बच्चे को दूध पिलाती है तो मन के द्वारा माँ का प्रेम जाग्रत होता है । वह माँ का प्रेम दूध मे समान प्राण के द्वारा मिश्रित होकर स्तन मे आ जाता है । उदान नाम का प्राण माँ के स्तन मे दूध का निर्माण करता है । यह प्राण माँ के चित मे रहता है । अगर माँ उस समय उच्च विचार सोचती है तथा महान विचार सोचती है तो दुध के माध्यम से वो विचार बच्चे के शरीर मे आ जाते है । वो विचार शरीर से मन मे जाते है मन से बुद्धि मे जाते है और बुद्धि से चित मे जाते है और चित से आत्मा और 5 प्राणो मे संचित हो जाते है । जिससे बच्चे का आत्म बल , मनोबल और बुद्धिबल बढ़ जाता है । इसी प्रकार जब बच्चे को बोतल से दूध पिलाया जाता है तो उस दूध मे माँ … [ Read More ]
क्या महान आत्मा गर्भ मे प्रवेश के लिए गोचर मे अच्छे ग्रह नक्षत्र का इंतजार करती है ?
वेद ज्ञान कहता है कि आत्मा तीन प्रकार की होती है । 1- सतोगुणी आत्मा – सतोगुणी आत्मा गोचर मे अवश्य ही अच्छे ग्रहों का इंतजार करती है । जब ब्रह्मांड मे या गोचर मे ग्रह अपनी राशि या उच्च राशि या मूलत्रकोण राशि मे आ जाते है तो महान आत्मा तुरंत गर्भ मे समयनुसार प्रवेश कर जाती है । सतोगुणी आत्मा वाले मनुष्य के कार्य प्रकृति और समाज के कल्याण के लिए होते है तथा उनका उद्देश सिर्फ भले कार्यों ले लिए होता है । ऐसे मनुष्य के शरीर के द्वारा उत्तम कार्य किए जाते है । 2- रजोगुणी आत्मा – यह आत्मा गरभावस्था मे शरीर मे तब प्रवेश करती है जब गोचर मे ग्रह रजो तत्व प्रधान होते है । ये आत्मा अपने पूर्व जन्म के कर्मो के अनुसार कार्य करती है । ऐसे मनुष्य अपने शरीर से मिले जुले कार्य करते है । 3- तमोगुणी आत्मा – … [ Read More ]
अन्न से मन , जल से प्राण और घी से तेज़ बनता है नशे से बनता है शरीर मे जहर । इन चारो का तीन जगह विभाजन होता है ।
जैसा अन्न हम खाते है वैसा ही अन्न तीन भागो मे बट जाता है । अन्न का एक भाग स्थूल मे मल बन जाता है मध्यम भाग मे मांस मे बृद्धि करता है और तीसरा सूक्ष्म भाग मे मन का निर्माण करता है । आप जैसा अन्न खाओगे उसका तीसरे भाग का प्रभाव मन को वैसा ही बनाता है । जल पीने से स्थूल भाग मे मूत्र बन जाता है , मध्यम भाग मे खून का निर्माण होता है तथा सूक्ष्म भाग मे प्राण का निर्माण होता है । प्राण अपनी गति करता है । घी खाने से स्थूल भाग मे हड्डी का निर्माण होता है मध्यम भाग मे मज्जा का निर्माण होता है और सूक्ष्म भाग मे वाणी का निर्माण होता है । इसी प्रकार नशा करने से स्थूल भाग मे मूत्र विकार का निर्माण करता है मध्यम भाग मे शरीर के सभी अंगो मे विष का निर्माण करता … [ Read More ]
मनुष्य की मृत्यु के बाद वो आत्मा क्यो सपनों मे आती है ? और भविष्य मे होने वाली बुरी घटनाओ की जानकारी क्यो देती है ? क्या है इसका वायो वैज्ञानिक रहश्य ?
हमारे ऋषियों के अनुसार 7 लोक , 7 ग्रह 7 ऋषि और 7 जन्म की धारणा है जो कि वैज्ञानिक तौर पर सत्य है । जब आत्मा अपना शरीर छोड़ देती है तो शरीर 5 महाभूतों मे मिल जाता है । लेकिन आत्मा के साथ वही चित 7 जन्म तक रहता है । चित मे आपके मोह माया और आपके कर्म संचित रहते है । अगर मनुष्य की म्रत्यु मोह के वशीभूत होकर होती है तो आपकी आत्मा जहा पर भी जन्म लेती है और जिस रूप मे भी जन्म लेती है तो उस आत्मा के साथ चित का मोह आपके चित के साथ जुड़ा रहता है । जिसके कारण पुनर्जन्म लेने के बाद भी आपके व्यान प्राण के द्वारा उस चित के साथ धुलोक के माध्यम से संपर्क हो जाता है । तथा आपके पूर्वज 7 जन्म तक आपके संपर्क मे रह सकते है । 7 जन्म के बाद … [ Read More ]
प्रत्येक मनुष्य झूठ क्यों बोलता है ?
बड़ा विचित्र सवाल है कि हम रोज़ना झूठ बोलते है लेकिन हम यह नही जानते है कि हम झूठ क्यों बोलते है और किसलिए बोलते है । और जीवन में बिना झूठ के गुजारा भी नही होता है । हमारे शरीर में 5 ज्ञानेंद्रियाँ और 5 कर्मेन्द्रियाँ होती है । इनको मन संचालित करता है । मन प्रकृति का रूप है और चलायमान है । और जो संसाधन प्रकृति में मौजूद है उनको मन प्राप्त करना चाहता है । उन संसाधनों को प्राप्त करने के लिए मन अपने अधीन इन्द्रियो का प्रयोग करता है । शरीर में मौजूद 5 ज्ञानेंद्रियाँ को सच संचालित करता है और 5 कर्मेन्द्रियों को झूठ संचालित करता है । जब मनुष्य के मन में विकृति आती है तो 5 कर्मेन्द्रियाँ स्वतः क्रियाशील हो जाती है । जब ये 5 कर्मेन्द्रियाँ क्रियाशील हो जाती है तो मनुष्य झूठ के आगोश में आ जाता है । और … [ Read More ]