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आखिर झूठ बोलना पाप क्यो है ? और झूठे आदमी के चेहरे मे चमक क्यो नहीं होती है ? क्या है इसका वायो वैज्ञानिक आधार ?
वैसे तो झूठ जीवन का आधार है पर यह झूठ जीवन का विनाश भी करती है । बिना झूठ के जीवन भी नहीं चलता है । ऋषिओ ने कहा है कि जीवन मे झूठ न बोलो यह झूठ शरीर को दीमक की तरह खा जाती है और हमे पता ही नहीं चलता है । आखिर झूठ बोलना पाप क्यो है ? पाप हमेशा दो तरीके से पैदा होता है । एक तो हम जब किसी की हाय या बददुआ लेते है तो पाप उत्पन्न होता है । उस हाय और बददुआ का नेगटिव प्रभाव आत्मा पर पड़ता है । इसलिए जब जब भी आत्मा पर नेगटिव ऊर्जा का प्रभाव पड़ेगा तो आत्मा उसको पाप मे बदल देती है । दूसरा पाप जब उत्पन्न होता है जब आप अपने शरीर मे आत्मा के विरुद्ध नकारात्मक काम करते हो तो आत्मा पाप उत्पन्न करती है । अगर आप झूठ बोलते हो , … [ Read More ]
ये धर्म क्या है ? और अधर्म क्या है ? क्या लाखो लोगो का संगठन धर्म कहलाता है ?
धर्म का मामला बहुत ही संबेदनशील है । इस विषय पर लिखना थोड़ा कठिन कार्य है । क्योकि कि यह भावना से जुड़ा होता है अगर भावना आहत हुई तो धर्म का अधर्म हो जाएगा और इस विषय पर लिखने वाला को अभद्रता का सामना करना पड़ेगा । पैदा होती हमे धर्म के बारे मे सही जानकारी न देकर धर्म की कट्टरता सिखाई जाती है । कि हम हिन्दू है , मुसलमान है , इशाई है , सिक्ख है , जैन है या बोद्ध है । और यह कट्टरता हमारे मन मे और बुद्धि मे कूट कूट कर भर दी जाती है । कि अगर कोई हमारे धर्म के खिलाफ बोलेगा या लिखेगा तो हम उसको मार देंगे काट देंगे या उपद्रव कर देंगे । और इन धर्मों के ठेकेदार संत ,महात्मा ,मोलवी ,पादरी ,भिक्षू या ग्रंथि सभी एक दूसरे धर्म की बुराई करते है । और सभी अपने धर्म … [ Read More ]
बाथ रूम हमेशा नैऋत्य कोण या पश्चिम ही बनाना चाहिए । क्यो होती है धन की हानी और क्यो रुकती है उन्नति ?
अधूरा ज्ञान हमेशा बहुत खतरनाक होता है । कई महावास्तु विशेषज्ञ बाथरूम को अग्नि कोण या वायव्य कोण मे बना देते है । और तर्क देते है कि किताबों मे लिखा है । 99/ किताबो को लेखको ने एक दूसरे की नकल करके लिखा गया है । अगर एक किताब मे गलती है तो सभी ने वही गलती की है । किसी ने उस पर सोध नहीं किया है । 84 लाख योनिया सभी आगे से खाते है और पीछे से मल विसर्जन करते है । यह एक सार्व्भोमिक सत्य है । फिर इंसान भी आगे से खाता है और पीछे से मल विसर्जन करता है । वास्तु पुरुष का सिर भी ईशान कोण मे होता है और मल विसर्जन का स्थान नैऋत्य कोण मे होता है । क्या कोई इंसान बगल से मल विसर्जन करता है ? नहीं फिर बाथ रूम अग्नि कोण मे या वायव्य कोण मे क्यो … [ Read More ]
ये धर्म क्या है ? और अधर्म क्या है ? क्या लाखो लोगो का संगठन धर्म कहलाता है ?
धर्म का मामला बहुत ही संबेदनशील है । इस विषय पर लिखना थोड़ा कठिन कार्य है । क्योकि कि यह भावना से जुड़ा होता है अगर भावना आहत हुई तो धर्म का अधर्म हो जाएगा और इस विषय पर लिखने वाला को अभद्रता का सामना करना पड़ेगा । पैदा होती हमे धर्म के बारे मे सही जानकारी न देकर धर्म की कट्टरता सिखाई जाती है । कि हम हिन्दू है , मुसलमान है , इशाई है , सिक्ख है , जैन है या बोद्ध है । और यह कट्टरता हमारे मन मे और बुद्धि मे कूट कूट कर भर दी जाती है । कि अगर कोई हमारे धर्म के खिलाफ बोलेगा या लिखेगा तो हम उसको मार देंगे काट देंगे या उपद्रव कर देंगे । और इन धर्मों के ठेकेदार संत ,महात्मा ,मोलवी ,पादरी ,भिक्षू या ग्रंथि सभी एक दूसरे धर्म की बुराई करते है । और सभी अपने धर्म … [ Read More ]
क्या कहूँ और क्या लिखूँ समझ नहीं आ रहा।
क्या कहूँ और क्या लिखूँ समझ नहीं आ रहा। आज जहाँ देखो राधे माँ के बारे में मीडिया और सोशल मीडिया हर जगह बोला जा रहा है। ये कैसी धर्म वव्यस्था है हमारे हिन्दू समाज की कि चंद पैसों के लिए कुछ हमारे विद्वत गण बिककर के महामंडलेश्वर की उपाधि किसी को भी बिना जांच पड़ताल के दे देते हैं । आज ऐसे ही अनपढ़ और चरित्रहीन लोगों को महामंडलेश्वर या शंकराचार्य बना देते हैं। ये विद्वत समाज के साथ न्याय नहीं अन्याय है। ऐसे लोगों के बिकने पर लोगों का, जो सच्चे संत या साधू इत्यादि हैं उन पर से ही भरोसा उठ जाता है। बिना किसी भी तरह से जांच पड़ताल के कि वो उस उपाधि के सही काबिल है या नहीं तभी पद पर आसीन करना चाहिए अगर वो उस पद के लिए उपयुक्त नहीं है तो तत्काल ऐसो के खिलाफ उचित कार्यवाही करनी चाहिए। अगला नंबर … [ Read More ]
वाणी, दिव्य वाणी और सिद्ध वाणी क्या है ? और कहाँ से आती है ये वाणी ?
यह सत्य है कि जो बोला जाता है वही वाणी होती है । पर वाणी का विज्ञान बहुत गहरा है । यह उसी प्रकार गहरा है जिस प्रकार एक गाना सुनने वाले को सिर्फ यह पता होता है कि स्पीकर गाना गा रहा है । लेकिन सत्य यह कि स्पीकर के पीछे जो सर्किट का जंजाल होता है वही उस गाने को गाता है । इसी प्रकार हमारी वाणी के पीछे कुछ नाड़ियों और तरंगो का जंजाल होता है । जिसको हम देख नहीं पाते है । वाणी का संबंध धुलोक (अंतिरक्ष) से होता है, धुलोक का संबंध चित से होता है , चित का संबंध बुद्धि से होता है , बुद्धि का संबंध अहंकार से होता है , अहंकार का संबंध मन से होता है और मन का संबंध नाभि से होकर व्यान प्राण से होते हुए जिव्या से होता है । वाणी हमारे व्यान प्राण से संचालित होती … [ Read More ]
आखिर कोई भी योगी ,संत, महात्मा और ऋषि भगवान के दर्शन करने के बाद क्यो नहीं बता पाता है कि भगवान कैसा है उसका रूप क्या है ? आखिर क्या है इसका वैदिक वायो वैज्ञानिक रहश्य ?
यह सत्य है कि बहुत से ऋषिओ ने भगवान के दर्शन किए है और भगवान स्वयं अवतार के रूप मे भी मनुष्य के शरीर मे आए है । जिनके शरीर मे स्वयं भगवान अवतार के रूप मे आए है उन देवताओ को भी पता है । पर कोई बता क्यो नहीं पाता है ? जब योगी मन और आत्मा को एकाग्र करके समाधि मे जाता है तो भगवान के दर्शन कर लेता है । लेकिन जब आत्मा परमात्मा के दर्शन करती है तो उस समय पर आत्मा की गति इतनी तीव्र होती है कि आत्मा के साथ बुद्धि का संपर्क नहीं रहता है । जब आप किसी चीज़ को देखते हो चक्षु इंद्री और बुद्धि के माध्यम से उसका वर्णन करते हो । बुद्धि ही किसी चीज़ की व्याख्या करती है । जब कि बुद्धि ब्रहम लोक मे जा नहीं पाती है क्योकि बुद्धि की सीमा पार्थिव लोको तक सीमित … [ Read More ]
मानव क्यो नास्तिक होता है ? मनुष्य मे नास्तिकता और आस्तिकता का मूल कारण क्या है ? क्या कहता है वेद ज्ञान और प्रकृति का विज्ञान ?
यह एक स्वाभाविक क्रिया है कि मानव जाति मे दो मत और दो राय और दो विचार प्रत्येक कर्म और सिधान्त और विज्ञान मे होते है । यह सत्य है कि मानव का ह्रदय और आत्मा नास्तिक नहीं होते है । प्रकृति के आवेशों मे आकर मन और बुद्धि नास्तिक हो जाते है । मन जब प्रकृति मे रमण करता है तो मन प्रकृति के भौतिकताबाद मे इतना लीन हो जाता है कि मन को यही लगता है कि प्रकृति का निर्माण स्वत प्रतिकृया से हुआ है , इसमे भगवान का कोई योगदान नहीं है । तथा मन परलोक का विचार ही छोड़ देता है । तथा मन अपने जीवन को प्रकृति के सिद्धांतों तक ही सीमित कर लेता है । जिसके कारण ह्रदय मे नास्तिकता आ जाती है । इसका दूसरा मुख्य कारण है कि नास्तिक मानव के अंतकरण मे पिछले जन्म के कुछ दुराचारी संसकार संचित रहते है … [ Read More ]
क्या एक मनुष्य की आत्मा दूसरे मनुष्य के शरीर मे प्रवेश कर सकती है ? क्या है इसका वायो वैज्ञानिक रहश्य ?
यह सत्य है कि आत्मा म्रत्यु के बाद ही शरीर छोडती है । फिर आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर मे नहीं जा सकती है । लेकिन इसका एक बहुत बड़ा भी रहश्य है । कैसे एक मनुष्य दूसरे मनुष्य के शरीर मे होने वाली घटनाओ की जानकारी प्राप्त कर सकता है तथा वो स्त्री के शरीर मे पुरुष की आवाज मे और पुरुष के शरीर मे स्त्री की आवाज मे कैसे बोल सकता है । तथा अपने अनुरूप कैसे दूसरे मनुष्य से काम करवा सकता है । इस सिधान्त को विज्ञान के आधुनिक युग मे Brain Hacking कहते है । जैसे कोई कम्प्युटर का हैकर दूसरे के कम्प्युटर को हेक कर लेता है । उसी प्रकार 5 प्राणो के संधान के नियम पर शरीर काम करता है । यह एक बहुत कठिन तपश्या है । जिसके द्वारा प्राणो का आपस मे समनव्य किया जाता है । जब कोई योगी … [ Read More ]