ग्रहों का स्वभाव व दृष्टि

Astrology - A science

सूर्य आकाश मंडल का मुख्य केंद्र, सभी ग्रह इसी के प्रकाश से प्रकाशमय होते है। सबसे ज्यादा बलवान और पराक्रमी ग्रह। कारक : आत्मा. पिता, नेत्र, पराक्रम, तेज़, माणिक्य, राजा, शासनादी, हड्डीयों, पेट एवं हृदय। कुंडली में १, ९, १० भाव का कारक। विचार : शारीरिक गठन, शक्ति, पिता, वैध, उच्च वर्ग, प्रतिष्ठा, ग्रीष्म ऋतु, सोना, तांबा, शरीर का सुख। पित प्रकृति, सतोगुण,अग्नि – तत्व, पुरुष जाति, पूर्व दिशा का स्वामी, दिन में बली। मेष राशि में १० अंश उच्च एवं तुला राशि में १० अंश नीच। रत्न : प्रिय रत्न माणिक्य, क्षत्रिय जाति का ग्रह। सूर्य से पृथ्वी की दुरी लगभग १५ करोड़ कि.मी. व्यास लगभग १४ लाख कि.मी. १३ लाख गुणा बड़ा ग्रह पृथ्वी से। रोग : रक्त, पित विकार, सिर दर्द, नेत्र रोग, ज्वर, ह्रदय रोग, अतिसार, पेट की बीमारी व हड्डियों का रोग, व्याकुलता । चंद्रमा मन के उपर प्रभाव, कुण्डली में चंद्रमा खराब होने पर … [ Read More ]

ग्रहों और रत्नों के बीच क्या संबंध होता है ?

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ग्रह और रत्नों का आपस में बहुत ही गहरा संबंध है। सौर मण्डल में स्थित सभी ग्रह नक्षत्र व तारे अपनी रश्मियाँ (उर्जा किरण) भूमण्डल पर फैलाते हैं जिनका प्रभाव इस भूमंडल के प्रत्येक प्राणियों, वनस्पतियों व खनिजों पर पड़ता है और ये सभी प्राणियों, वनस्पतियों, व खनिजों के जीवन तथा क्रिया कर्म को अपनी रश्मि के द्वारा प्रभावित करते हुए संचालित करते है। ग्रहों से निकलने वाली ये रश्मियाँ देखने में भले ही सफेद रंग की प्रतीत हो परंतु वास्तव में सात रंगों से युक्त होती है। ये किरण सफेद रंग में न होकर सात रंगों – बैंगनी, आसमानी, पीला, लाल, नीला, हरा तथा नारंगी रंगों का सममिश्रण होता है। इसकी स्पष्ट झलक वर्षा ऋतु में ‘ इंद्र धनुष ‘ के रूप में दिखाई देती है। सूर्य की किरण जब वर्षा के मध्य में जल बिंदुओं से होकर पृथ्वी पर आती है तो सात रंग में विभक्त होकर ये … [ Read More ]

वास्तु क्या है ? कैसे काम करता है ?

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प्रत्येक मनुष्य का स्वप्न होता है कि वह अपने लिए सुंदर से सुंदर और आकर्षक भवन का निर्माण करवाएँ ताकि उसे भवन में रहने पर सुख – शांति, आरोग्यता, संपदा, वैभव आदि की प्राप्ति हो। परंतु ज्ञान के अभाव में वह इन सब कारणों से वचिंत हो जाता है, जिसका मुख्य कारण है ‘वास्तु दोष’। ज्योतिष की तरह ही वास्तु सत्य विज्ञान है, इसका हर पहलू वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। यदि घर, मकान, कोठी, दुकान, फैक्ट्री आदि का निर्माण वास्तु के अनुसार करवाया जाए तो उसमे रहने वाले लोग सुखी और संपन्न रहते है। वास्तु के लिए हमे दिशाओं का ज्ञान होना अति आवश्यक है क्योंकि वास्तु का संबंध ही दिशाओं पर आधारित है। दिशाओं के साथ साथ अच्छे प्लाट और भूमि का चयन करना भी आवश्यक है और मकान अथवा किसी भी प्रकार के निर्माण में सभी छोटे – बड़े मूलभूत वास्तु के वैज्ञानिक पहलूओं पर भी ध्यान … [ Read More ]

ज्योतिष – एक विज्ञान

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जैसा की हम सब जानते हैं आज के समय में मनुष्य जीवन तरह-तरह के प्रपंचों, दुखो, रोगों आदि से प्रभावित हैं एसे में वह कुछ समय सुख के बिताना चाहता हैं क्योंकि जैसे ही संसार में बच्चे का जन्म होता हैं तब से और मृत्यु तक हर तरह की समस्या, सुख-दुख, रोगों आदि का जीवन भर संबंध रहता है। हमारा समय कभी अच्छा तो कभी बुरा गुजरता है और यह सब ग्रहों की चाल के कारण होता है किसी के ग्रह बुलंदियों की ओर ले जाते है तो किसी के सदेव गर्दिश में रहते है और इन्ही ग्रहों को हम सितारे भी कहते है। जीवन में प्रत्येक घटने वाली अच्छी – बुरी घटनाएँ, रोग, सुख – दुख, हानि-लाभ, संबंधो का बनना बिगड़ना ये सब केवल हमारे पिछले जन्मो या इसी जन्म में संचित कर्मो का फल होता है और कितने जन्मो तक का होता है यह भी किसी को नही … [ Read More ]