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आशीर्वाद – ब्रह्मलीन संत शिरोमणि श्री श्री 1008 श्री नारायण दास जी महाराज

ब्रह्मलीन संत श्री नारायण दास जी हनुमान जी के परम भक्त थे जिस कारण इन्होंने ग्रहस्थ जीवन त्याग कर सन्यास ले लिया और तपस्या को चले गए, कई साल बाद लगभग 22 साल बाद ये वापिस आये और राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी में हनुमान जी की सेवा में लग गए। पंडित मदन लाल जी का वहां दर्शन हेतु आना जाना लगा रहता था जिसके कारण इनकी भेंट संत सिरोमनि बाबा नारायण दास जी से हुई और उन्ही के आशीर्वाद स्वरुप पंडित  मदन लाल जी उन्हें दिल्ली श्री बालाजी महाराज की सेवा के लिए लाए। उस समय यहाँ केवल एक छोटा सा राम दरबार हुआ करता था और संत जी अपना धुना रमाते थे और यही वे अखंड तपस्या करने लगे। जहा धर्म का कार्य हो वहा कुछ असामाजिक तत्व के लोग भी व्यवधान जरूर डालने आ जाते थे लेकिन काफी प्रयासों के बाद अंत में विजय धर्म की ही हुई।

मेहंदीपुर बालाजी से ही इस मंदिर में अखंड ज्योति लाई गयी जो आज भी प्रजवल्लित है आज इस मंदिर के देखरेख की व्यवस्था यहाँ के महंत ‘ आचार्य श्री महेश जी महाराज ‘ के हाथों में है जिसे वे निःस्वार्थ भाव से निभा रहे हैं।

वर्ष 1988 से  आज तक यह स्थान भक्तों की भारी आस्था का ये स्थान केंद्र विंदू बन चुका है जो भी सच्चे मन से यहाँ कुछ भी मांगता है वो कभी खाली नहीं जाता है।

mahesh-sharma-jiकिसी भी प्रकार की समस्या के लिए बालाजी के यहाँ मंगलवार और शनिवार को यहाँ सभी समस्याओं का निदान महंत जी के द्वारा किया जाता है। जैसा स्वरूप मेहंदीपुर बालाजी में है वैसा ही यहां भी है ; राम दरबार, शिवालय, भेरो दरबार और श्री प्रेतराज सरकार का दरबार ।

ये तीनो शक्तियां ही मिलकर किसी भी प्रकार की बुरी शक्तियों को दूर करने में सक्षम है , यहाँ का जल और बाबा की विभूत हर रोग को काटने में रामबाण है। दिवाली, होली, हनुमान जयंती और दशहरे के दिन विशाल यज्ञ का आयोजन भी किया जाता है जिसमे हजारों भक्त आकर आहुतियां डालते हैं और मन को शान्ति प्राप्त करते हैं।

आज इस मंदिर की ख्याति और लोकप्रियता का कोई मोल नहीं है अपने आप ही बाबा की कृपा से इसका प्रचार प्रसार हो रहा है जो अपने आप में अद्भुत है और दूर दूर से यात्री आकर दर्शन करते है और मनवांछित फल पाते हैं तथा कष्टों से भी छुटकारा पाते हैं।

जब व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है या रोगों से ठीक हो जाता है तो बाबा की सवामनी और भंडारा करवाता है जो आज तक अखंड चल रहा है