आत्मा का आकार इतना सूक्ष्म होता है कि उससे बात करने बात तो दूर की है उसको किसी भी बारीक से बारीक दूरबीनों से देखा नहीं जा सकता है । आत्मा का आकार एक बाल के गोल अग्र भाग के 60 हिस्से कर दिये जाये तथा 60 वे हिस्से के एक भाग के 99 हिस्से कर दिये जाये तथा 99 वे हिस्से के एक भाग के फिर 60 हिस्से कर दिये जाये तथा 60 वे भाग के 99 हिस्से कर दिये जाये तो 99 वे भाग मे से एक हिस्से के बराबर आत्मा का सूक्ष्म आकार होता है । यानि 1 बाल के गोल हिस्से का 3 करोड़ 52 लाख 83 हजार 600 वा हिस्सा ।
अब कल्पना करे आत्मा इतनी सूक्ष्म है कि उससे शरीर का कोई भी तत्व और इंद्री बात करने मे सक्षम नहीं है । एक आत्मा किसी दूसरी आत्मा से तभी बात कर सकती है जब दूसरी आत्मा के पास शरीर होगा और शरीर मे वाणी यंत्र होगा । और वाणी तभी होगी जब शरीर होगा । और शरीर तभी होगा जब 5 महाभूतों का संधान होगा ।
अंतरिक्ष मे रमण करने वाली आत्माओं के पास स्थूल रूपी शरीर नहीं होता है ।जब आत्मा के पास स्थूल रूपी शरीर नहीं होगा तो बात कैसे की जा सकती है । ऐसी स्थिति मे किसी भी गुरु का यह कहना गलत है कि वो आत्माओं से बात करता है या बात करा देगा ।
योगी साधक सिर्फ उन आत्माओं के शब्दो को सुनवा सकता है जो बात चीत पहले हो चुकी है या वो आत्मा सूक्ष्म रूप मे है । क्योकि शब्द कभी मरता नहीं है । शब्द हमेशा ब्रह्म लोक मे जिंदा और सुरक्षित रहता है ।
इसको आप एक वैज्ञानिक उदाहरण के माध्यम से समझ सकते है । जैसे cd , vcd harddisk मे गाने या बातचीत संचित रहते है वो हजारो साल खत्म नहीं हो सकते है । ऐसे ही हमारी आत्मा की आवाज कभी भी खत्म नहीं होती है ।
जैसे आज भी हमारे पास 50 साल पुराने गाने मोजूद है लेकिन वो cd या वीसीडी मे है । cd का अन्तरिक्ष बहुत छोटा है । उसकी एक सीमा है लेकिन भगवान की बनाई हुई cd या vcd की कोई सीमा नहीं है ।
एक आत्मा का किसी दूसरी आत्मा से बात करना किसी भगवान कृष्ण जैसे योगी का काम ही हो सकता है । वो भी तभी संभव है जब उस आत्मा ने पुनर्जन्म ले लिए हो तथा उस आत्मा के शरीर ने वाणी यंत्र विकसित कर लिए हो । साधारण गुरु तो आत्मा की रचना की कल्पना भी नहीं कर सकता है ।
पं. यतेन्द्र शर्मा ( ज्योतिषविद् एवं वैदिक सनातन धर्म चिंतक )
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