अधूरा ज्ञान हमेशा बहुत खतरनाक होता है । कई महावास्तु विशेषज्ञ बाथरूम को अग्नि कोण या वायव्य कोण मे बना देते है । और तर्क देते है कि किताबों मे लिखा है । 99/ किताबो को लेखको ने एक दूसरे की नकल करके लिखा गया है । अगर एक किताब मे गलती है तो सभी ने वही गलती की है । किसी ने उस पर सोध नहीं किया है ।
84 लाख योनिया सभी आगे से खाते है और पीछे से मल विसर्जन करते है । यह एक सार्व्भोमिक सत्य है । फिर इंसान भी आगे से खाता है और पीछे से मल विसर्जन करता है । वास्तु पुरुष का सिर भी ईशान कोण मे होता है और मल विसर्जन का स्थान नैऋत्य कोण मे होता है ।
क्या कोई इंसान बगल से मल विसर्जन करता है ? नहीं फिर बाथ रूम अग्नि कोण मे या वायव्य कोण मे क्यो ? यह गलत है । अगर आप बाथ रूम अग्नि कोण मे बनाएँगे तो आपकी उन्नति बाधित होगी । क्योकि कि अग्नि तत्व की जगह पर जल तत्व होगा तो घर मे उन्नति शांत हो जाएगी । इसी प्रकार वायव्य कोण भी धन धान्य का स्थान होता है । धन धान्य की जगह पर मल नहीं रखा जाता है ।
इसलिए अगर आपके घर मे कोई भी कमी है तो तुरंत ठीक करे । फेंग सुई का कोई भी उपाय वैज्ञानिक वास्तु को ठीक नहीं कर सकता है । महावास्तु वाले बोलते है कि हम बिना तोड़ फोड़ के ठीक कर देंगे । वे गलत है । विना सर्जरी के उपाय संभव नहीं है ।
पं. यतेन्द्र शर्मा ( कुंडली एवं वास्तु विशेषज्ञ )