कुछ लोग रत्नो को व्यर्थ की बाते बताते है कहते कि रत्नो का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। लेकिन रत्न जीवन में उसी प्रकार काम करता है जिस प्रकार एक बहु मंजिला ईमारत पर लगा एक अर्थ का एंटीना काम करता है । जब आसमान में विजली तड़कती है तो वो पानी के माध्यम से अर्थ लेकर ईमारत को तहश नहश कर देती है उस समय वो एंटीना ही ईमारत को सुरक्षित रखता है।
इसी प्रकार जब हमारे शरीर में अग्नि तत्व का घर्षण होता है तो ये रत्न या धातु ही उसके प्रभाव से हमें बचाते है। महर्षि चरक ने सबसे पहले आयर्वेद में इन रत्नो का प्रयोग भस्म बनाने के लिए किया था । आज भी मरीज़ को रत्नो और धातु की भष्म जैसे स्वर्ण भस्म ,चाँदी की भस्म, मूंगे की भष्म दी जाती है. रत्न उसी प्रकार काम करता है जिस प्रकार एक लेंस को सूर्य की रश्मियों के साथ केंद्रित करते है तो वह लेंस आग लगा देता है । उसी प्रकार जब जब भी आपके द्वारा पहना हुआ रत्न सूर्य को केंद्रित होगा तो आपके शरीर में ऊर्जा बढ़ा देगा ।
यह एक वैज्ञानिक सत्यता है.नाग मणि का अपना महत्व्य है इसको भी नाकारा नहीं सकता है ,शीप मोती का अपना महत्व्य है, गज मुक्त का अपना महत्व्य है,जहर मोरा नाम के रत्न का अपना महत्व्य है वो किसी भी प्रकार के जहर को खत्म कर देता है जिसको सपेरे लोग रखते है। हीरा रत्न संसार का सबसे महगा रत्न है,सोना धातु जो सूर्य गृह से संचालित है जिसके कारण संसार की अर्थ व्यवथा नापी जाती है । इसको प्रयोग करने वाले बहुत ही धनी या राजा महाराज करते है । अंत में यही कहना चाहूंगा कि भगवान के द्वारा बनाई हुई हर चीज़ का अपना महत्व्य है भगवान के द्वारा बनाई हुई किसी भी चीज़ पर ऊँगली उठाने पहले उसके बारे में सोध करनी चाहिए.वो लोग पाखंडी है और हिन्दू धर्म के नाशक है ।
पं. यतेन्द्र शर्मा ( वैदिक & सनातन चिंतक )