वेद ज्ञान कहता है कि आत्मा तीन प्रकार की होती है ।
1- सतोगुणी आत्मा –
सतोगुणी आत्मा गोचर मे अवश्य ही अच्छे ग्रहों का इंतजार करती है । जब ब्रह्मांड मे या गोचर मे ग्रह अपनी राशि या उच्च राशि या मूलत्रकोण राशि मे आ जाते है तो महान आत्मा तुरंत गर्भ मे समयनुसार प्रवेश कर जाती है । सतोगुणी आत्मा वाले मनुष्य के कार्य प्रकृति और समाज के कल्याण के लिए होते है तथा उनका उद्देश सिर्फ भले कार्यों ले लिए होता है । ऐसे मनुष्य के शरीर के द्वारा उत्तम कार्य किए जाते है ।
2- रजोगुणी आत्मा –
यह आत्मा गरभावस्था मे शरीर मे तब प्रवेश करती है जब गोचर मे ग्रह रजो तत्व प्रधान होते है । ये आत्मा अपने पूर्व जन्म के कर्मो के अनुसार कार्य करती है । ऐसे मनुष्य अपने शरीर से मिले जुले कार्य करते है ।
3- तमोगुणी आत्मा –
यह आत्मा शरीर मे ग्ररभावस्था तब प्रवेश करती है जब गोचर ग्रह अपनी नीच राशि मे शस्त्रु राशि मे या 6,8,12 बे भाव मे होते है । तमोगुणी आत्मा वाले लोग समाज और प्रकृति को हानी पहुचाने के लिए ही जन्म लेते है ।
इसकी विस्तृत जानकारी ज्योतिष ग्रंथो की षोडस कुंडिलीओन मे मिलती है ।
पं. यतेन्द्र शर्मा ( वैदिक & सनातन चिंतक )