हमारे ऋषियों के अनुसार 7 लोक , 7 ग्रह 7 ऋषि और 7 जन्म की धारणा है जो कि वैज्ञानिक तौर पर सत्य है ।
जब आत्मा अपना शरीर छोड़ देती है तो शरीर 5 महाभूतों मे मिल जाता है । लेकिन आत्मा के साथ वही चित 7 जन्म तक रहता है । चित मे आपके मोह माया और आपके कर्म संचित रहते है ।
अगर मनुष्य की म्रत्यु मोह के वशीभूत होकर होती है तो आपकी आत्मा जहा पर भी जन्म लेती है और जिस रूप मे भी जन्म लेती है तो उस आत्मा के साथ चित का मोह आपके चित के साथ जुड़ा रहता है ।
जिसके कारण पुनर्जन्म लेने के बाद भी आपके व्यान प्राण के द्वारा उस चित के साथ धुलोक के माध्यम से संपर्क हो जाता है । तथा आपके पूर्वज 7 जन्म तक आपके संपर्क मे रह सकते है । 7 जन्म के बाद अंत करण मे संचित कर्म की याददस्त खत्म हो जाती है । उसके बाद हमारे व्यान प्राण का संपर्क टूट जाता है । लेकिन यह प्रक्रिया सिर्फ सतोगुणी और रजो गुणी आत्माओं के साथ ही संभव हो पाती है ।
इसलिए व्यान प्राण के द्वारा ही हमे सपने आते है तथा हमारे पूर्वजो के साथ संपर्क हो जाता है ।
व्यान प्राण ही हमारे मन को बांधकर रखता है । व्यान प्राण ही हमे विभिन्न लोको मे ले जाता है तथा वापिस ले आता है ।
पं. यतेन्द्र शर्मा ( वैदिक & सनातन चिंतक )