प्रत्येक मनुष्य झूठ क्यों बोलता है ?

बड़ा विचित्र सवाल है कि हम रोज़ना झूठ बोलते है लेकिन हम यह नही जानते है कि हम झूठ क्यों बोलते है और किसलिए बोलते है । और जीवन में बिना झूठ के गुजारा भी नही होता है ।

हमारे शरीर में 5 ज्ञानेंद्रियाँ और 5 कर्मेन्द्रियाँ होती है । इनको मन संचालित करता है । मन प्रकृति का रूप है और चलायमान है । और जो संसाधन प्रकृति में मौजूद है उनको मन प्राप्त करना चाहता है । उन संसाधनों को प्राप्त करने के लिए मन अपने अधीन इन्द्रियो का प्रयोग करता है ।

शरीर में मौजूद 5 ज्ञानेंद्रियाँ को सच संचालित करता है और 5 कर्मेन्द्रियों को झूठ संचालित करता है । जब मनुष्य के मन में विकृति आती है तो 5 कर्मेन्द्रियाँ स्वतः क्रियाशील हो जाती है । जब ये 5 कर्मेन्द्रियाँ  क्रियाशील हो जाती है तो मनुष्य झूठ के आगोश में आ जाता है । और शरीर की इच्छा पूर्ति के लिए और  शरीर के बचाव के लिए मनुष्य की 5 कर्मेन्द्रियाँ झूठ बोलने के लिए मनुष्य को मजबूर कर देती है ।

साधना और तपस्या से 5 कर्मेन्द्रियों को 5 ज्ञानेन्द्रियों के आधीन किया जाता है । फिर ज्ञानेंद्रियों और मन को प्राण के आधीन किया जाता है । इसके बाद मन और प्राण का मिलान किया जाता है । जब  मन प्राणों के आधीन आ जाता है तो मानव का शरीर तप  जाता है । जब शरीर तप जाता है तो मनुष्य चारो तरफ सच का आवरण  आ जा जाता है । और सच के द्वारा मनुष्य के चेहरे पर चमक आ जाती है ।

पं. यतेन्द्र शर्मा ( वैदिक & सनातन चिंतक )