दिल्ली प्रान्त का श्री बालाजी हनुमान मंदिर जो 1 जनवरी 1953 से स्थापित है, जिसकी पहचान एक छोटे से स्थान रामा विहार से की थी जो पास के ही श्री रामऋषि संस्कृत पाठशाला कराला गाँव के समीप है। इस मंदिर की ख्याति लगभग अस्सी के दशक से ही बढ़ी है। यहा के स्थानीय क्षेत्र के अतिरिक्त काफी दूर दराज से भारी संख्या में श्रद्धालु आते है और उनके सभी कष्ट दूर होते है जो मंगलवार – शनिवार को लंबी कतार में पूजा, अर्चना करते हुए देखे जा सकते है। यहा की पूजा – पद्धति के बारे में महंत श्री महेश जी महाराज से समय लेकर मिल सकते है जिनको ( मेहन्दीपुर बालाजी, दौसा राजस्थान ) वाले बाबा का आशीर्वाद प्राप्त है। जो श्रद्धालु मेहन्दीपुर बालाजी नही जा पाते वो यहा आते रहते है और उनका बाबा कष्ट दूर करते है। जिनकी कामना पूरी हो जाती है वे यहा पर सवामनी, चोला, भंडारा, हवन, पूजा इत्यादि करवाते है जो अखंड रूप में संचालित हो रहा है। इस मंदिर की बहुत सारी विशेषताए है।
इस मंदिर के विस्तार से पहले रामा विहार कॉलोनी के संस्थापक, कोटपुतली राजस्थान निवासी, अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा अध्यक्ष स्वर्गीय पंडित मदन लाल शर्मा मेहन्दीपुर जाते रहते थे। वहा के महंत स्वर्गीय श्री रामस्वरूप पुरी जी को इस स्थान पर लेकर आये और उनको इस क्षेत्र में घुमाया, उन्ही के साथ उनके कृपापात्र शिष्य श्री महेश जी भी थे। इस स्थान पर महंत रामस्वरूप जी खड़े हो गये और अपने शिष्य को इस स्थान का महंत बना दिया उसके पश्चात महेश जी के पिता ब्रह्मलीन संत श्री नारायण दास जी जो कि एक तपस्वी संत थे उन्होंने यहा धूना लगाया और महेश जी महाराज द्वारा दरबार लगाया जाने लगा। इस तरह से मंदिर का निर्माण और विस्तार हो गया। मंदिर में तीन अखंड ज्योति जल रही है जो मेहन्दीपुर धाम से लायी गयी है, श्री बालाजी महाराज, श्री भैरव जी और श्री प्रेत राज सरकार की।